शिक्षा आंदोलन: बिहार के छात्रों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पुलिस ने लगाए बैरिकेड्स एवं प्रशांत किशोर की गद्दारी

बिहार में बीपीएससी के अभ्यर्थियों पर पुलिस की लाठीचार्ज और वाटर कैनन का मामला चर्चा में है। घटना 13 दिसंबर को प्रारंभिक परीक्षा के बाद शुरू हुए आंदोलनों से जुड़ी है, जहां अभ्यर्थी परीक्षा की अनियमितताओं और पुनः परीक्षा की मांग कर रहे थे। गांधी मैदान में प्रशांत किशोर और उनकी जनस्वराज पार्टी के शामिल होने से आंदोलन ने नया मोड़ लिया। छात्रों को समर्थन देने का दावा करते हुए किशोर ने मुख्यमंत्री आवास तक मार्च की योजना बनाई, लेकिन पुलिस बैरिकेडिंग पर संघर्ष के दौरान वे गायब हो गए। छात्रों ने प्रशांत किशोर पर धोखे और राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया। लाठीचार्ज और पानी की बौछार से नाराज छात्रों ने सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। इस घटना ने बिहार की राजनीति और आंदोलनों में राजनीतिक दखलअंदाजी की गंभीरता को उजागर किया।

शिक्षा आंदोलन: बिहार के छात्रों ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, पुलिस ने लगाए बैरिकेड्स एवं प्रशांत किशोर की गद्दारी

फैसल सुल्तान

बिहार एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार भी चर्चा की वजह चिंताजनक है। नीतीश कुमार की सरकार पर लाठियों का राज और बीजेपी की चुप्पी ने जनता के बीच गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है। घटनाएं तब और गंभीर हो जाती हैं जब प्रशांत किशोर, जिन्हें बिहार की राजनीति में एक नई ताकत के रूप में देखा जा रहा है, छात्रों के आंदोलन के केंद्र में आ जाते हैं।

घटना की शुरुआत : सब कुछ 13 दिसंबर से शुरू हुआ जब बीपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा हुई। बिहार के 900 से ज्यादा केंद्रों पर इस परीक्षा का आयोजन हुआ, लेकिन इसके नतीजों और प्रक्रिया को लेकर छात्रों में गुस्सा पनपने लगा। 30 दिसंबर तक, छात्रों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में पुलिस की लाठियां और पानी की बौछारें उन पर गिरती रहीं।

गांधी मैदान में प्रशांत किशोर की एंट्री : पटना के गांधी मैदान में छात्रों का प्रदर्शन चल रहा था, जब अचानक प्रशांत किशोर और उनकी जन स्वराज पार्टी ने इसमें एंट्री ली। प्रशांत किशोर ने छात्रों को आश्वासन दिया कि वे उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलवाएंगे और उनके हक की लड़ाई में साथ रहेंगे।

मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ता प्रदर्शन : प्रशांत किशोर ने छात्रों को उकसाया कि वे मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करें। जब छात्र वहां पहुंचे, तो बैरिकेड्स लगाकर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। प्रशांत किशोर ने छात्रों को वहीं धरने पर बैठने का निर्देश दिया। लेकिन जैसे ही पुलिस ने लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल शुरू किया, प्रशांत किशोर घटनास्थल से गायब हो गए।

छात्रों का गुस्सा और पीके का पर्दाफाश : पुलिस की कार्रवाई के बाद छात्रों का गुस्सा प्रशांत किशोर पर फूट पड़ा। मीडिया के सामने छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने उन्हें धोखा दिया। एक छात्र ने कहा, "प्रशांत किशोर ने कहा था कि पहली लाठी वे खाएंगे, लेकिन लाठीचार्ज से पहले ही वे भाग गए।"

छात्रों का बयान : छात्रों ने साफ तौर पर कहा कि यह आंदोलन उनके हक की लड़ाई थी, लेकिन प्रशांत किशोर ने इसे हाईजैक कर लिया। छात्रों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर का असली मकसद राजनीति करना और खुद को नेता के रूप में स्थापित करना था।

पुलिस की चुप्पी और बीजेपी की रणनीति : इस पूरे घटनाक्रम में बिहार पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। पुलिस ने प्रशांत किशोर को रोकने या गिरफ्तार करने के बजाय, केवल छात्रों पर कार्रवाई की। वहीं, बीजेपी इस पूरे विवाद से किनारा करती दिखी।

प्रशांत किशोर की भूमिका पर सवाल : बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या उनके पीछे कोई बड़ी राजनीतिक ताकत है? क्या वे किसी एजेंडे के तहत छात्रों के आंदोलन को भटकाने की कोशिश कर रहे थे?

अंतिम सवाल : छात्र आंदोलन से जुड़े इस पूरे विवाद ने बिहार की राजनीति को नई दिशा में धकेल दिया है। प्रशांत किशोर का उभरता हुआ चेहरा अब विवादित हो चुका है।

आगे क्या होगा? इस सवाल का जवाब बिहार के छात्र और जनता ही दे सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति में एक गहरी छाप छोड़ चुका है।