सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी की राजनीति, तेजस्वी यादव के आरोप, और जनता की उम्मीदें

बिहार की राजनीति में आगामी चुनाव और सत्ता समीकरणों को लेकर गहमा-गहमी है। बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने घोषणा की कि 2025 के चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़े जाएंगे और वे ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। हालांकि, इस बयान से भाजपा की रणनीति और नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल उठते हैं। अमित शाह ने पहले कहा था कि मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा, जिससे विपक्ष ने भाजपा पर हमला किया। वहीं, नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर बिहार में अटकलें तेज हैं, क्योंकि वे बार-बार दल बदलते रहे हैं। बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए नीतीश की आवश्यकता है, जबकि नीतीश ने आरजेडी और बीजेपी के साथ गठबंधन कर अपनी राजनीतिक स्थिति बनाए रखी है। पेपर लीक के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने सरकार पर निशाना साधा और छात्रों को न्याय दिलाने की मांग की। उन्होंने नीतीश सरकार पर केवल कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा शासन चलाने का आरोप लगाया। विपक्ष ने भी नीतीश के नेतृत्व पर सवाल उठाए और उनकी निष्क्रियता को बिहार के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया। आखिर में यह स्पष्ट होता है कि नीतीश और बीजेपी की मजबूरी एक-दूसरे के साथ बने रहने में है। आगामी चुनाव में ये समीकरण बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी की राजनीति, तेजस्वी यादव के आरोप, और जनता की उम्मीदें

फैसल सुल्तान

  • नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित
  • तेजस्वी यादव के आरोप: पेपर लीक विवाद और नीतीश सरकार पर हमला
  • बिहार के छात्रों की नाराजगी: पेपर लीक पर विरोध प्रदर्शन
  • जनता की उम्मीदें: क्या नीतीश सरकार पर भरोसा कायम रहेगा?
  • क्या 2025 में नीतीश कुमार का जादू कायम रहेगा?

बिहार, जहां हर दिन नई राजनीतिक हलचलें होती हैं, इस बार भी सुर्खियों में है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कद्दावर चेहरा सम्राट चौधरी ने हाल ही में एक बयान देकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और वही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे।

यह बयान अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। बीजेपी, जो सत्ता की रणनीति के लिए जानी जाती है, क्या इस बयान के जरिए अपने पुराने विरोधी नीतीश कुमार को एक बार फिर अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है?

नीतीश और बीजेपी: मजबूरी या रणनीति?

यह राजनीति का खेल केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं है। कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि 2025 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा तय किया जाएगा। यह बयान बीजेपी की रणनीति और उसमें नीतीश की भूमिका पर सवाल उठाता है। वहीं, नीतीश कुमार, जो कभी बीजेपी के कट्टर आलोचक थे, अब उनके साथ गठबंधन में हैं। लेकिन यह गठबंधन कितना मजबूत है? या यह केवल राजनीतिक मजबूरी है?

बिहार की राजनीति का जातिगत समीकरण

नीतीश कुमार को जातिगत समीकरणों का मास्टरमाइंड माना जाता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, महादलित समुदाय का बड़ा वोट बैंक नीतीश के पक्ष में रहा है। लेकिन अगर यह समीकरण बिगड़ता है, तो इसका असर 2025 के चुनावों पर सीधा पड़ेगा।

नीतीश कुमार ने इन्वेस्टमेंट समिट में हिस्सा लेने से मना कर दिया और उनकी तबीयत का बहाना बनाया गया। इसके बाद एनडीए की मीटिंग में बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने फिर से नीतीश के नेतृत्व  की बात दोहराई।

तेजस्वी यादव का पलटवार

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी इस पूरे घटनाक्रम पर चुप नहीं रहे। उन्होंने बीपीएससी छात्रों के धरना स्थल पर जाकर उनका समर्थन किया और सरकार पर निशाना साधा। तेजस्वी ने कहा, "जब मैं उपमुख्यमंत्री था, तब पेपर लीक क्यों नहीं हुआ? यह सब सरकार की नाकामी है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में चार-पांच लोग पूरी सरकार चला रहे हैं और नीतीश कुमार केवल नाममात्र के मुख्यमंत्री हैं।

बीजेपी और जेडीयू: सत्ता के खेल में कौन बड़ा?

बीजेपी की रणनीति साफ दिखती है। वह हर राज्य में दो-पार्टी सिस्टम लागू करना चाहती है, जहां आरजेडी और बीजेपी आमने-सामने हों। जेडीयू को कमजोर करना इसका हिस्सा है, जैसा कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हुआ। अगर जेडीयू कमजोर होती है, तो 2025 के चुनावों में बीजेपी को एक सीधा प्रतिद्वंद्वी मिलेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार इसे होने देंगे?

निष्कर्ष: 2025 में क्या होगा?

बिहार की राजनीति का यह खेल रोचक मोड़ ले रहा है। नीतीश कुमार और बीजेपी एक-दूसरे की मजबूरी बन गए हैं। लेकिन यह गठबंधन कितना टिकेगा, यह देखने वाली बात होगी। 2025 का चुनाव कई मायनों में निर्णायक साबित होगा। नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना, जेडीयू का अस्तित्व, और बीजेपी की रणनीति—सब कुछ इस चुनाव में दांव पर है।