बायसी के राजद विधायक रूकनुद्दीन के विरूद्ध दर्ज मुकदमें की कार्रवाई के विरोध में पार्टी नेताओं की चुप्पियां गढ़ रही है सवालें
बायसी के राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए ने राजनीतिक हमले तेज कर दिए हैं। यह घटनाक्रम आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में बायसी सीट पर एनडीए की पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पूर्व में एआईएमआईएम से चुनाव जीतने वाले रूकनुद्दीन बाद में राजद में शामिल हो गए थे, जिससे बिहार की सत्ता परिवर्तन में उनकी भूमिका रही। अब एनडीए, विशेषकर जदयू और बीजेपी, उनकी राजनीतिक पकड़ को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। विधायक पर नॉन-बेलेबल धाराओं में केस दर्ज होने से क्षेत्र में अफरातफरी मची हुई है और वे अंडरग्राउंड हो गए हैं। हैरानी की बात यह है कि राजद के शीर्ष नेता इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे पार्टी के भीतर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह मामला सीमांचल में विपक्षी दलों के लिए नई चुनौती बन सकता है।

सीमांचल (अशोक/विशाल)
संसदीय चुनाव क्षेत्र के परिसीमन के अंतर्गत किशनगंज संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले पूर्णिया जिले के बायसी विधान सभा क्षेत्र की सीट को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की झोली में घसीट लाने की तैयारी के मद्देनजर एनडीए गठबंधन की सत्तारूढ़ जदयू ने सबसे पहले राजद की सिटिंग वाली बायसी विधान सभा क्षेत्र को निशाने पर लिया है और उक्त विधान सभा क्षेत्र की सीट पर काबिज़ राजद के सिटिंग विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद पर दर्ज हुए एक आपराधिक मामला के अंतर्गत विधायक की जड़ें हिलाने का जोरदार प्रयास किया है।
बायसी की विधान सभा सीट काफी लंबे अरसे से राजद की झोली में पड़ी हुई थी लेकिन पिछले विधान सभा चुनाव के दौरान हैदराबादी सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ए आई एम आई एम की हवा उठने के क्रम में उस समय के पूर्व विधायक रहे सैयद रूकनुद्दीन अहमद ने ए आई एम आई एम की चुनावी टिकट पर चुनाव लड़कर उक्त सीट पर विजय हासिल कर उस पर कब्जा जमा लिया।
फिर कुछ ही महीने में यह विधायक तीन अन्य ए आई एम आई एम के सिटिंग विधायकों के साथ राजद की सदस्यता ग्रहण करते हुए बिहार की तत्कालीन एनडीए सरकार का तख्ता पलट दिया था और नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की तत्कालीन सरकार का ठप्पा अपने ऊपर लगवा लिया था।
लेकिन , उसके 17 महीनों के बाद ही जब नीतीश कुमार ने फिर से एनडीए के पक्ष में पलटी मारते हुए बीजेपी एनडीए की सरकार बिहार में स्थापित कर लिए तो ये विधायक विरोधी दल राजद की अमानत मात्र ही बने रह गए और सीमांचल भर में राजद कांग्रेस और वामपंथी दलों की स्थापित महागठबंधन के भविष्य को संवारने में लगे रहे।
जबकि दूसरी ओर से ऐसे सभी विधायकों की सिटिंग सीटों को आने वाले अगले विधान सभा चुनाव में कब्जाने की जुगत में एनडीए की बीजेपी और जेडीयू ने निगाहें गड़ा रखी थी और किसी भी कीमत पर इनकी सीटें छीनने के उपायों में भिड़ी रही।
कहते हैं कि उन्हीं उपायों के अंतर्गत बायसी के सिटिंग राजद विधायक के साथ घटी केस मुकदमें की घटना को अंजाम दिलाने की कोशिश की गई है , जिसके एकमात्र मकसद बायसी के सिटिंग राजद विधायक की जड़ें हिलाने की कोशिश है।
चर्चा के अनुसार , सीमांचल भर के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल संसदीय क्षेत्र किशनगंज में पड़ने वाले पूर्णिया जिले के बायसी विधान सभा क्षेत्र के सिटिंग राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद पर एक साथ सत्तारूढ़ दल जदयू और प्रशासनिक महकमें के चौतरफे हमलों से सीमांचल भर के विपक्षी दलों राजद और कांग्रेस के विधायकों और समर्थकों में हताशा की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि ,
बायसी विधान सभा क्षेत्र के सिटिंग राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद के समर्थकों द्वारा की गई मारपीट की घटना में विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद को भी विभिन्न ननबैलेबुल धाराओं के अंतर्गत नामजद आरोपी बनाए जाने से क्षेत्र में अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया है और चर्चा शुरू हो गई है कि सत्तारूढ़ दलों के दबाब पर सीमांचल में राजद और कांग्रेस की जड़ें हिलाने की राजनीतिक और प्रशासनिक कोशिशों की राजनीतिक शुरूआत कर दी गई है।
बताया जाता है कि बायसी की घटना के आरोपी के तौर पर राजद विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद को नामजद आरोपी बनाए जाने से विधायक सैयद रूकनुद्दीन अहमद कुछ दिनों से अंडर ग्राउंड चल रहे हैं लेकिन इस मामले में चौंकाऊं बात यह है कि इस मामले को लेकर राजद के आला नेतागण भी राजधानी मुख्यालय में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और उनकी ओर से इस मामले के विरोध में किसी भी तरह की कोई सुगबुगाहट तक शुरू नहीं की गई है।