तेहरान में शेख इस्माइल हानिया पर हमला और हुए शहीद : ईरान की राजधानी में बड़ी घटना

ईरान की राजधानी तेहरान में हाल ही में एक गंभीर घटना घटी है, जिसमें हमास के प्रमुख नेता शेख इस्माइल हानिया को निशाना बनाया गया। रात के 2 बजे उनकी रिहाइशगाह पर किए गए घातक हमले में वे शहीद हो गए। इस हमले की पुष्टि ईरान की पासदारान-ए-इन्कलाब फौज और हमास दोनों ने की है। हमले में शेख हानिया के सुरक्षा गार्ड और सहयोगी मसूद भी शहीद हो गए। यह हमला फलस्तीन की तारीख का एक बड़ा हादसा है और अक्टूबर में इजराइल के हमास पर किए गए सबसे बड़े हमलों में से एक है। शेख हानिया की शहादत से हमास की लीडरशिप और संघर्ष पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा, और उनकी फलस्तीन की आजादी के लिए जद्दोजहद जारी रहेगी। इस घटना से इजराइल-फलस्तीन संघर्ष में और अधिक तनाव बढ़ सकता है। ईरान ने भी इस हमले पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि शेख हानिया का खून व्यर्थ नहीं जाएगा।

तेहरान में शेख इस्माइल हानिया पर हमला और हुए शहीद : ईरान की राजधानी में बड़ी घटना

फैसल सुल्तान 

तेहरान में शेख इस्माइल हानिया पर हमला: ईरान की राजधानी तेहरान में हाल ही में एक गंभीर घटना घटी है। ईरान के नए राष्ट्रपति, मसूद पजश कान की हल्फ बरदारी की तकरीब में भाग लेने के बाद, शेख इस्माइल हानिया पर घात लगाकर हमला किया गया। यह हमला रात के 2 बजे शेख इस्माइल हानिया की रिहाइशगाह पर किया गया, जिसमें वे शहीद हो गए।

 हमला और उसकी पुष्टि

हमास ने इस हमले की पुष्टि की है, साथ ही ईरान की पासदारान-ए-इन्कलाब फौज ने भी बयान जारी कर इस हमले की पुष्टि की है। ईरान की पासदारान ने बताया कि हमले के दौरान शेख इस्माइल हानिया की सुरक्षा में तैनात गार्ड को भी मार दिया गया, जो दरवाजे के बाहर खड़ा था। हमले में शेख इस्माइल हानिया के साथ उनके सहयोगी मसूद भी शहीद हो गए।

यह घटना फलस्तीन की तारीख में एक महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा हादसा है। इससे पहले भी फलस्तीन के कई प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया था। अक्टूबर में शुरू हुए संघर्ष के बाद से यह इजराइल का फलस्तीन पर सबसे बड़ा हमला था। इजराइल ने अपना एजेंडा तय किया था कि हमास के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया जाएगा और इसमें उन्हें सफलता भी मिली।

 इजराइल का एजेंडा और उसका प्रभाव

हमास की लीडरशिप को निशाना बनाकर इजराइल ने अपने एजेंडा में पहली बार सफलता प्राप्त की है। हालांकि, इससे हमास की लीडरशिप और उनके राजनीतिक एजेंडे पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। हमास का पूरा सिस्टम और उसकी जमीनी हकीकत, डेमोक्रेसी और शूरा सिस्टम पर आधारित है, जो इन घटनाओं से प्रभावित नहीं होता।

शेख इस्माइल हानिया हमास के पॉलिटिकल ब्यूरो के प्रमुख थे और उनकी शहादत के बावजूद, हमास की फलस्तीन को आजाद कराने की लड़ाई जारी रहेगी। शेख इस्माइल हानिया की शहादत से यह संभावना बढ़ गई है कि अब हमास की ओर से इजराइल के खिलाफ और अधिक तीव्र कार्रवाई की जाएगी।

शेख इस्माइल हानिया की पृष्ठभूमि और उनकी शहादत

ईरान में मसूद पजश कान के राष्ट्रपति बनने के बाद 28 जून को चुनाव हुआ था। नए राष्ट्रपति की हल्फ बरदारी की तकरीब में शेख इस्माइल हानिया भी शामिल हुए। वे कतर की राजधानी दोहा से तेहरान पहुंचे थे क्योंकि गज्जा में उन पर पाबंदी थी। इससे पहले, शेख इस्माइल हानिया ने ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की शहादत के बाद भी तेहरान का दौरा किया था और वहां के सुप्रीम लीडर खामेनेई से मुलाकात की थी। शेख इस्माइल हानिया की रिहाइशगाह का लोकेशन किसी ने लीक किया और इजराइल की खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी मिल गई। इसके परिणामस्वरूप, शेख इस्माइल हानिया की रिहाइशगाह पर ड्रोन और मिसाइल के जरिए हमला किया गया। 

शेख इस्माइल हानिया की शहादत और उसकी प्रतिक्रिया

हमास की लीडरशिप ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा है कि यह एक बहुत बड़ा हादसा है, लेकिन वे इसका बदला लेंगे। शेख इस्माइल हानिया का खून व्यर्थ नहीं जाएगा, और इजराइल को इसकी कीमत दोगुनी चुकानी पड़ेगी।

शेख इस्माइल हानिया की शहादत के बाद, पूरा विश्व शोक में डूबा हुआ है। उनके परिवार की पहले ही कई कुर्बानियाँ हो चुकी हैं। शेख इस्माइल हानिया के तीन बेटों और चार पोते-पोतियों को ईद के दिन शहीद किया गया था। इसके अलावा, उनके खानदान के लगभग 60-70 सदस्य इजराइल द्वारा शहीद किए जा चुके हैं।

 ईरान और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

ईरान ने इस हमले पर सख्त रद्दे अमल दिया है और कहा है कि शेख इस्माइल हानिया का खून व्यर्थ नहीं जाएगा। पूरी दुनिया में इस घटना की खबर तेजी से फैल गई है और शोक की लहर दौड़ गई है।

इस प्रकार, शेख इस्माइल हानिया की शहादत ने एक बार फिर से फलस्तीन की आजादी और संघर्ष की जटिलताओं को उजागर किया है। इस घटना से वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है और इजराइल-फलस्तीन संघर्ष में नई चुनौतियां सामने आ सकती हैं।