वक्फ विधेयक: मुसलमानों की संपत्ति पर खतरा, किशनगंज के माननीय सांसद डॉ. जावेद और अमीर-ए-शरीयत का कड़ा विरोध

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर 29 अगस्त 2024 को किशनगंज के सांसद डॉ. जावेद और अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली रहमानी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में विधेयक की खामियों पर चर्चा की गई, जिसमें कहा गया कि यह विधेयक मुसलमानों की संपत्तियों को सरकार के हाथों में देने का प्रयास है, जिससे हजारों मस्जिदें, कब्रिस्तान, और दरगाहें मुसलमानों के नियंत्रण से बाहर हो जाएंगी। अमीर-ए-शरीयत ने इसे पूरी तरह से अनुचित और भेदभावपूर्ण बताया और इसे खारिज करने की मांग की। सांसद डॉ. जावेद ने आश्वासन दिया कि वे और उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ मजबूती से खड़े रहेंगे और जब तक इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया जाता, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। बैठक में अन्य मुस्लिम संगठनों और वक्फ से जुड़े विद्वानों ने भी अपने विचार रखे और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया। अमीर-ए-शरीयत ने कांग्रेस और अन्य संगठनों के समर्थन की सराहना की और जोर दिया कि यह विधेयक मंजूरी की दहलीज तक न पहुंचे।

वक्फ विधेयक: मुसलमानों की संपत्ति पर खतरा, किशनगंज के माननीय सांसद डॉ. जावेद और अमीर-ए-शरीयत का कड़ा विरोध

बिहार मंथन डेस्क

वर्तमान में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ उभरते विचार और उनकी प्रासंगिकता का विषय न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है। किशनगंज के माननीय सांसद डॉ. जावेद साहब और अमीर-ए-शरीयत मौलाना अहमद वली रहमानी के बीच 29 अगस्त 2024 को ईमारत शरिया के बीच बैठक आयोजित हुई, इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तृत चर्चा के साथ बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वक्फ विधेयक की खामियों पर प्रकाश डालना और इसे पूरी तरह से अस्वीकार करने की मांग को मजबूत करना था।

बैठक में मौलाना अहमद वली रहमानी ने विधेयक की खामियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, यह विधेयक मुसलमानों की संपत्तियों को सरकार के हाथों में सौंपने का प्रयास है, जो उनके धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए गंभीर खतरा है। विधेयक के पारित होने से हजारों मस्जिदें, कब्रिस्तान, और दरगाहें मुसलमानों से छिन जाएंगी और पूरा वक्फ सिस्टम उनके नियंत्रण से बाहर हो जाएगा।

अमीर-ए-शरीयत ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक पूरी तरह से अनुचित, पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण है। उन्होंने इसे शुरू से अंत तक गलत ठहराया और इसे पूरी तरह से अस्वीकार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनके अनुसार, इस विधेयक में किसी भी तरह की सुलह या समझौते की कोई गुंजाइश नहीं है।

कांग्रेस के सांसद डॉ. जावेद ने भी इस विधेयक पर अपनी गंभीर चिंताओं को साझा किया। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी और वे स्वयं इस बिल के राजनीतिक लाभ उठाने और मुसलमानों की संपत्ति को हड़पने के इरादों को अच्छी तरह समझते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि जब तक इस विधेयक को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जाता, तब तक वे अपनी पार्टी के साथ मिलकर इसके खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।

बैठक में उपस्थित अन्य मुस्लिम संगठनों और वक्फ से जुड़े विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस पर अमीर-ए-शरीयत ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी नेतृत्व में इस दिशा में प्रयास जारी रहेंगे।

बैठक के अंत में, यह निर्णय लिया गया कि वक्फ विधेयक के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसे रोकने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा। अमीर-ए-शरीयत ने इस दिशा में कांग्रेस और अन्य संगठनों के समर्थन की सराहना की और उनसे आग्रह किया कि वे इस विधेयक को मंजूरी की दहलीज तक नहीं पहुंचने दें। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाए कि विधेयक पूरी तरह से खारिज हो।

वक्फ विधेयक का विरोध केवल मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे संघर्ष का हिस्सा है, जिसमें धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए देशभर के मुस्लिम समुदाय की एकजुटता महत्वपूर्ण है। यह विधेयक न केवल धार्मिक अधिकारों का हनन करता है, बल्कि यह संविधान की आत्मा के खिलाफ भी है। इस विधेयक के खिलाफ लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक इसे पूरी तरह से खारिज नहीं किया जाता।