पूर्णिया किशनगंज अररिया की विधान परिषद सीट पर सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल की बल्ले बल्ले

पूर्णिया किशनगंजअररिया की विधान परिषद की सीट पर होने वाले बिहार विधान परिषद के चुनाव दलीय आधार पर और दलीय चुनाव चिन्ह पर नहीं होते हैं।

पूर्णिया किशनगंज अररिया की विधान परिषद सीट पर सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल की बल्ले बल्ले
  • पार्टी सिम्बोल से अछूता रहने वाले इस चुनाव में जायसवाल के समर्थन में किसी दल के नेताओं को गुरेज नहीं
  • भाजपा राजद कांग्रेस के द्वारा अलग अलग उम्मीदवार को दिये जाने वाले समर्थन महज फॉर्मलिटी
  • पार्टी स्तर पर नहीं होने हैं ये चुनाव
  •  कभी स्वर्गीय सीमांचल गांधी तस्लीमुद्दीन ने भी इस कारण ही जायसवाल की मदद की थी
  • व्यक्तित्व के आधार पर होती है वोटिंग :: इसलिए जायसवाल की है इस बार भी बल्ले बल्ले
  • उधर सीमांचल की राजद कांग्रेस की अंदरूनी आपसी फुट इस चुनाव में भी हैं कायम
  • राजद समर्थित उम्मीदवार अब्दुस सुबहान ने स्वर्गीय सीमांचल गांधी तस्लीमुद्दीन को कोसकर राजद के कुनबे को किया आक्रोशित

सीमांचल (अशोक/विशाल)

यह चुनाव विना दलीय आधार के विशुद्ध निर्दलीय रूप से लड़े जाते हैं और इस चुनाव को जबरन दलीय आधार पर घसीट कर ले जाने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों ने समर्थन की परिपाटी बना ली है , जिसके तहत पार्टियां अपने समर्थन से अपनी पार्टी के लोगों को इस चुनाव में उतार रही है और अपने अपने दल के नेताओं , कार्यकर्ताओं व दल से जुड़े वोटर रूपी विभिन्न निकाय क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों पर जबरिया दबाव बनाती है कि अमुक उम्मीदवार उनकी पार्टी का  समर्थित उम्मीदवार है तो वोट उन्हें ही दें ।

जाहिर सी बात है कि इस तरह की दोरंगी चुनावी प्रक्रिया से वोटर रूपी निकाय क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों में हताशा की स्थिति उत्पन्न होती है और तभी भीतरघात की संभावना बलबती हो जाती हैं ।

 आसन्न त्रिस्तरीय निकाय क्षेत्र के विधानपरिषद के चुनाव में कुछ ऐसी ही स्थिति बनती नजर आ रही है।

एक ओर भाजपा ने एनडीए गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में अपने सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल को ही फिर से उतार कर भाजपा भाजपा का शोर मचाना शुरू कर दिया है तो है तो दूसरी ओर भाजपा उम्मीदवार डॉ दिलीप जायसवाल की शिकस्ती तय करने के लिए राजद की ओर से पूर्णिया के बायसी विधान सभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री हाजी अब्दुस सुबहान को विधान परिषद के इस चुनाव के प्रत्याशी के रूप में उतार कर राजद राजद चिल्लाया जा रहा है ।

तीसरी ओर से कांग्रेस भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार को उतारने की घोषणा कर दी है लेकिन उम्मीदवार के नाम की घोषणा अभी तक नहीं कर पायी है ।

अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि पिछले डेढ़ दशक से समाजसेवा के क्षेत्र में अपना सिक्का जमाये सीटिंग विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल की सीमांचल भर में स्थापित लोकप्रियता को खंडित करने में कांग्रेस या राजद को कैसे सफलता मिलेगी।

सीमांचल का यह विधान परिषद क्षेत्र पूर्णिया किशनगंज अररिया बिहार राज्य का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल इलाकों में शुमार है और भाजपा विरोधी क्षेत्र माना जाता रहा है लेकिन , अपनी राजनीतिक सूझबूझ और जनता की सेवाओं के कारण इस सीट पर लगातार दो टर्म से भाजपा के ही विधान पार्षद काबिज होते आ रहे हैं और फिर से दावा किया गया है कि  तीसरी बार भी इस सीट से विजय पताका डॉ दिलीप जायसवाल ही फहराएंगे।

भाजपाई विधान पार्षद डॉ दिलीप जायसवाल के उक्त दावे को सीमांचल में विल्कुल सटीक दावा माना जा रहा है। इसका कारण महागठबंधन में इस बार फिर  पड़ी फूट को ही नहीं माना जा रहा है बल्कि इसका बड़ा कारण डॉ दिलीप जायसवाल के द्वारा अनवरत किये जाने वाले जनसेवा को भी माना जा रहा है जिसके तुरूप के पत्ते के रूप में डॉ जायसवाल के मैनेजमेंट के अंतर्गत की किशनगंज मेडिकल कॉलेज सह लायंस अस्पताल हैं।

विधानपरिषद चुनाव के वोटर रूपी त्रिस्तरीय निकाय क्षेत्रों के जनप्रतिनिधिगण इसी अस्पताल की मुफ्त सेवा मुफ्त इलाज अपने अपने क्षेत्र की जनता को बारहों महीने उपलब्ध कराते रहे हैं और जबतक यह सुविधा उन्हें उपलब्ध है तबतक कहीं से भी नाममात्र की भी यह उम्मीद नहीं जताई जा सकती है कि निकाय क्षेत्र के कोई जनप्रतिनिधि डॉ जायसवाल का विरोध करेंगे।

हां यहां पर एक सच्चाई यह है कि वही जायसवाल अगर भाजपा सिम्बोल वाले किसी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में आ खड़े होंगे तो यही मुस्लिम बहुल जनता उन्हें पहचानने तक से इनकार कर दे सकती है , इसमें कोई दो राय नहीं है और यह विल्कुल खड़ीखोटी सच्ची बात है।

कहने का स्पष्ट तातपर्य है कि विना पार्टी स्तर के होने वाले विधानपरिषद चुनाव में इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के द्वारा डॉ दिलीप जायसवाल को किये जाने वाले मदद का एकमात्र आधार दिलीप जायसवाल का निर्दल चेहरा मात्र ही है और उनमें भाजपा की किसी भी तरह के कोई बू बास सीमांचल के मुस्लिम बहुल जनता को नजर नहीं आते हैं।

बहरहाल , विधानपरिषद चुनाव की बढ़ती जा रही सरगर्मी के बीच  राजद ने अपने उम्मीदवार उतारते ही पहला मोर्चा कांग्रेस के खिलाफ ही उसी प्रकार से खोल दिया है जिस प्रकार से एमआइएम ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

भाजपा जदयू के एनडीए गठबंधन सहित राजद के भी निशाने पर आयी कांग्रेस का  किशनगंज में अपना सांसद है और एक विधायक भी है।अररिया में भी कांग्रेस का एक विधायक है तो पूर्णिया में भी कांग्रेस का एक विधायक विराजमान है।

जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के विरोध में लगी एमआइएम के भी विधायक इन तीनों जिले में विराजमान हैं।

जाहिर सी बात है कि इस सीट पर कांग्रेस को अपना उम्मीदवार उतारने के बाद चौतरफे विरोध का सामना करना पड़ेगा और यही वजह है कि कांग्रेस को उम्मीदवार घोषित करने में देरी हो रही है।

लेकिन , जिस राजद ने अपने उम्मीदवार को उतारकर इस विधान परिषद क्षेत्र में चुनावी अभियान शुरू कर दिया है , वह राजद इस विधान परिषद क्षेत्र में एकजुट और सशक्त है कि नहीं , यह सवाल सबसे बड़ा है।

बताया जाता है कि अंदरूनी तौर पर राजद इस क्षेत्र में पूरी तरह से टूट फूट कर बिखरी हुई है और इसके किसी भी नेता के तालमेल इसके किसी नेता के साथ ठीक ठाक नहीं हैं।

पूर्णिया हों या किशनगंज अररिया ,  तीनों जिले में राजद विभिन्न कई गुटों में विभक्त है।

इसका ताजातरीन प्रमाण अभी अभी विधान परिषद के चुनाव के क्रम में भी देखने को मिल रहा है । जहां जहां राजद की इस संदर्भ में बैठकें आयोजित की जा रही हैं उसमें छिटपुट ढंग से ही राजद नेताओं की उपस्थिति दर्ज हो रही है।

बताया जाता है कि सीमांचल में राजद और कांग्रेस के नेताओं के बड़े तबके के बीच तभी से उल्टी गंगा बह रही है , जबसे डॉ दिलीप जायसवाल ने बतौर विधान पार्षद समाजसेवा के रूप में स्वास्थ्य और चिकित्सा की मुफ्त सेवाओं का प्रचलन स्थापित कर रखा है।

जानकार बताते हैं कि सीमांचल के किशनगंज में विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में जो राजद कांग्रेस के लोग एनडीए गठबंधन के भाजपा का विरोध पूरी शिद्दत से करते हुए उसे पनपने का कोई अवसर नहीं देते हैं  वही कांग्रेस और राजद के लोग विधानपरिषद के चुनाव में अंदरूनी तौर से भाजपा के विधानपार्षद डॉ दिलीप जायसवाल की जीत को सुनिश्चित करने का काम बड़ी ही चालाकीपूर्ण राजनीति के तहत करते आ रहे हैं।

बताया जाता है कि इस पूर्णिया किशनगंज अररिया की विधान परिषद की सीट पर राजद और कांग्रेस की ओर से उतारे जाने वाले उम्मीदवारों को इसी कारण प्रारंभ से ही चुनावी फॉर्मलिटी की संज्ञा से नवाजा जाता रहा है।और अगर इस बार कांग्रेस या राजद गम्भीरता से चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को उतारने का काम कर रही है तो इन दोनों पार्टियों में जारी अंदरूनी फूट का लाभ भाजपा के दिलीप जायसवाल को मिल जा सकता है । इसमें कोई संदेह नहीं है।