अफसरशाही और सोशल मीडिया के कंधों पर पूर्णिया में समाजसेवी के जनाजे निकालने की बढ़ी हुई है बेचैनी ---- रोकेगा कौन

यह कैसी अजीबोगरीब विडंबना है कि पूर्णिया के किसी एक ऑफिसर ने पूर्णिया शहर के बीच हो रहे किसी निर्माण कार्य पर सवाल उठा दिया तो उसकी देखा देखी बाद में पूर्णिया नगर निगम ने भी बहती नदी में हाथ धोने की भांति अपनी ओर से उसी निर्माणकार्य पर सवाल उठाते हुए नोटिस जारी कर दिया और उसके बाद उस मुद्दे को उछालने में सोशल मीडिया सक्रिय हो गया लेकिन , इतने हल्ला हसरातों के बावजूद उक्त निर्माणकार्य पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि उक्त निर्माण कार्य न ही किसी फर्जी जमीन पर किए जा रहे हैं और न ही किसी फर्जी व्यक्ति के द्वारा किए जा रहे हैं। उल्टे उक्त निर्माण कार्य को अकारण बाधित करने वाले अफसरानों का पूर्णिया से विदाई हो गया और समाचार लिखे जाने तक सब कुछ पूरी तरह से सामान्य सा दिखने लगा।

अफसरशाही और सोशल मीडिया के कंधों पर पूर्णिया में समाजसेवी के जनाजे निकालने की बढ़ी हुई है बेचैनी ---- रोकेगा कौन

सीमांचल/पूर्णिया (अशोक /विशाल) 

एकाध सोशल मीडिया पर हालांकि अभी भी उक्त निर्माण कार्य पर रह रह कर उंगलियां उठायी जा रही है जिसके कोई प्रभाव नहीं हो रहे हैं। लेकिन , इस तरह की हरकतों से भू स्वामी को अकारण विचलित करने का जो घिनौना प्रयास किया गया है , इस बात की निंदा शहर में चहुओर सुनने को मिल रही है। लोगबाग सवाल उठा रहे हैं कि जबसे भंग नगर निगम की प्रशासनिक कमान अधिकारियों के हाथों में गयी है तबसे शहर में चुन चुन कर प्रतिष्ठित भू स्वामियों व दुकान मार्केट के निर्माणकर्ताओं को तंग व परेशान करने की नई परम्परा शुरू हो गई है और लोगबाग दुआएं मांगने लगे हैं कि जल्द से जल्द निगम की प्रशासनिक बागडोर जनता के द्वारा चुने जाने वाले जनप्रतिनिधि के हाथ में ही फिर से चला जाय ताकि अफसरशाही की चाबुक से उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा हो सके।

हम बात कर रहे हैं पूर्णिया की हृदय स्थली आर एन साह चौक से भट्टा बाजार जाने वाली पूर्णिया की मुख्य बाजार जाने की सड़क पर स्थित पूर्णिया मार्केट के स्वामित्व में बन रही एक मार्केट कॉम्प्लेक्स की । जिसके प्रोप्राइटर हैं पूर्णिया शहर के सबसे बडे़ भू स्वामी सह नामचीन समाजसेवी रमेश चंद्र अग्रवाल।जिसने किसी भी तरह की लोकप्रियता हासिल करने के लिए न कभी प्रचार माध्यमों का सहारा लिया और न ही किसी राजनैतिक प्लेटफॉर्म से स्वयं को जोड़ा।
सदैव गुमनामी की जिंदगी जीते हुए इस समाजसेवी ने अपनी मुख्य बाजार की सड़क किनारे स्थित पुस्तैनी भूखंडों पर अपने द्वारा बनाए गए दुकानों को वर्तमान समय की भाड़े के विपरीत चंद रूपए के भाड़े में ही हर तरह के व्यवसाईयों को भाड़े पर लगाकर उसी से अपना , अपने परिवार का गुजर बसर जारी रखा तो दूसरी ओर उन्होंने उसी चंद आमदनी में से बचत की जाने वाली राशि से समाजसेवा का भी कार्य विना किसी प्रचार प्रसार के जारी रखा।
चर्चाओं के अनुसार , पूर्णिया के खुदरा व्यवसाय के सबसे बड़े क्षेत्र के रूप में पहचान रखने वाले पूर्णिया मार्केट के स्वामी रमेश चंद्र अग्रवाल की दयाशिलता से आज की तारीख में भी पूर्णिया और आसपास के सैंकड़ों लोग उनकी दुकानों से व्यवसाय संचालित कर अपनी और अपने परिवार की जीविका चलाते हैं।जिस कारण लोग बाग उन्हें देवतास्वरूप सम्मान देते हैं।
लेकिन , ताज्जुब की बात है कि ऐसे देवता स्वरूप हस्ती को भी आज के युग के चंट किस्म के लोग तंग परेशान करने से बाज नहीं आए। 
बताया जाता है कि कभी कभी भाड़े दारों ने ही सरकारी प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी दुकानों भू खंडों को अपने नाम से फर्जीनामा कराकर उन्हें परेशान करने का कोशिश किया तो उन्होंने कोर्ट की शरण में जाकर उन मामलों में फर्जी नामा करने वालों को औंधे मुंह गिराया । कहते हैं कि ऐसे 25 - 30 मामले उन्हें कोर्ट से सुलझाने पड़े लेकिन अपनी दयाशिलता के कारण उन्होंने वैसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता कभी महसूस तक नहीं की।
बताया जाता है कि पूर्णिया के सुप्रसिद्ध अतिव्यस्त भट्टा बाजार के मार्ग में आर एन साह चौक अवस्थित पूर्णिया मार्केट के प्रोप्राइटर रमेश चंद्र अग्रवाल के स्वामित्व में निर्माणाधीन इमारत पर सवाल उठाने के पीछे महज़ एक ही मंशा तंग करने की रही है , इस बात का खुलासा इसी से होता है कि तमाम अवरोधों के बावजूद उक्त निर्माणकार्य पर कोई असर नहीं पड़ता है और उसका निर्माणकार्य बेरोकटोक जारी रह जाता है।

लेकिन वैसी परेशानियों के कारण थोड़ा बहुत असर जो इस मालिक की प्रतिष्ठा पर पड़ा उससे सिर्फ यही निष्कर्ष इन्होंने  निकाला कि वर्तमान युग की संस्कृति में बड़े लोगों के मान सम्मान से खेलने की जो होड़ चारो तरफ मची हुई है यह भी उसी होड़ का एक हिस्सा मात्र रहा।

बहरहाल , संक्षिप्त में यहां पर बताया जा सकता है कि वर्तमान हाई प्रोफ़ाइल की जिंदगी से दूर रहकर गुमनामी की जिंदगी में जी रहे इसी शहरी शख्सियत ने गुरूद्वारे का निर्माण कर सिक्ख समाज को सौंपा लेकिन प्रचार नहीं किया , सैकड़ों मंदिरों , मस्जिदों , मदरसों के निर्माण में भारी भरकम योगदान किया , लेकिन , प्रचार नहीं किया।
असंख्य गरीब गुरबों के बच्चों का शादी ब्याह रचाया तो भी प्रचार नहीं किया। अपनी निजी भू खंड पर भवन बनवाकर सरकारी प्राइमरी स्कूल स्थापित कराया लेकिन वर्तमान समय के समाज के बीच कोई प्रचार नहीं किया और अभी भी वर्षों से कई फ्री चिकित्सालय इन्हीं के सौजन्य से संचालित हैं तो वह उसकी चर्चा भी कभी नहीं करते हैं।
सामाजिक छवि के रूप में इनके बारे में लोगों को महज़ यही जानकारी है कि शहर में देवता स्वरूप माने जाने वाले रमेश चंद्र अग्रवाल कभी लायन्स डिप्टी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर थे और आज बैडमिंटन एसोसिएशन के स्टेट वाइस प्रेसीडेंट सह पूर्णिया डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन के पैट्रोन हैं।
रमेश अग्रवाल के सौहार्द और सदभाव की बात करें तो सिर्फ इतना ही कहना श्रेयस्कर होगा कि अभी अभी चालू रमज़ान मुबारक के मौके पर उनकी पुत्री ने सैंकड़ों रोजेदारों और अपने शुभचिंतकों के साथ अपने पूर्णिया मार्केट के दुकानदारों को एक साथ इफ्तार कराया और उक्त मौके पर उपस्थित रोजेदारों को एक एक पाक कुरआन मजीद किताब , एक एक टोपी और एक एक तस्बीह प्रदान कर सबों के साथ समाज की तरक्की , मुल्क की शांति और समृद्धि सदभाव की दुआएं मांगी।