जदयू के मुस्लिम नेताओं को प्रशांत किशोर ने झंकझोड़ा

प्रशांत किशोर, जन सुराज अभियान के सूत्रधार, 12 सितंबर 2024 को सीमांचल के पूर्णिया दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने जदयू और नीतीश कुमार की नीतियों पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि जदयू ने वक्फ कानून का समर्थन करके मुस्लिम समाज के हितों के खिलाफ काम किया है और CAA, NRC का विरोध करने पर उन्हें जदयू से निकाल दिया गया। प्रशांत किशोर ने जदयू के मुस्लिम नेताओं से सवाल किया कि वे कैसे उस पार्टी का समर्थन कर सकते हैं, जो भाजपा के साथ मिलकर मुस्लिम विरोधी कानूनों का समर्थन करती है। किशोर ने कहा कि जदयू सिर्फ मुसलमानों से वोट लेकर उन्हें सत्ता का हिस्सा नहीं बनाती, बल्कि उन्हें वक्फ जैसे कानूनों से असहज करती है। उन्होंने सीमांचल के विकास के लिए एक विस्तृत ब्लू प्रिंट तैयार करने की घोषणा की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

जदयू के मुस्लिम नेताओं को प्रशांत किशोर ने झंकझोड़ा

सीमांचल (अशोक/विशाल)

प्रशांत किशोर, एक राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के सूत्रधार, ने 12 सितंबर 2024 को पूर्णिया में एक प्रेस वार्ता के दौरान जदयू और नीतीश कुमार के मुस्लिम विरोधी रुख की कड़ी आलोचना की। पूछा कि जिस बीजेपी ने संसद से सी ए ए और एन आर सी कानून को पास करने के बाद अब बक्फ बोर्ड प्रॉपर्टी कानून लाया उसको समर्थन देने वाली जदयू के साथ मुस्लिम नेता क्यों इस लेख में, हम उनके बयानों की विस्तार से विवेचना करेंगे और यह जानने का प्रयास करेंगे कि कैसे ये बयान सीमांचल की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं।

जन सुराज की सोच और सीमांचल का दौरा

प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान एक समग्र राजनीतिक विचारधारा है, जो सामाजिक और आर्थिक न्याय को केंद्र में रखता है। जन सुराज का उद्देश्य बिहार में एक नई राजनीतिक दिशा तैयार करना है, जो जाति और धर्म की राजनीति से ऊपर उठकर विकास की बात करे। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य सीमांचल के लोगों से संवाद करना, उनकी समस्याओं को समझना और उनके समाधान के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार करना है। किशोर ने इस दौरे के दौरान स्पष्ट किया कि जन सुराज का उद्देश्य सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि एक नए बिहार का निर्माण करना है।

प्रशांत किशोर ने पूर्णिया जिले में स्थित देवी मंदिर के दर्शन किए और इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस प्रेस वार्ता में उन्होंने जदयू और नीतीश कुमार पर तीखे हमले किए, विशेष रूप से वक्फ कानून और CAA, NRC के मुद्दों पर। उन्होंने कहा कि जदयू मुसलमानों के हक की बात तो करती है, पर जब संसद में वक्फ कानून का समर्थन करना होता है, तब वह भाजपा के साथ खड़ी होती है।

वक्फ कानून और जदयू की भूमिका

प्रशांत किशोर ने अपनी प्रेस वार्ता के दौरान जदयू पर आरोप लगाया कि उसने संसद में वक्फ कानून का समर्थन किया, जो कि मुस्लिम समाज के हितों के खिलाफ है। वक्फ कानून का संबंध मुस्लिम समाज की धार्मिक संपत्तियों से है और इसका उद्देश्य इन संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन करना है। किशोर का कहना है कि जदयू ने इस कानून का समर्थन कर यह सिद्ध कर दिया है कि वह मुस्लिम समाज के साथ केवल चुनावी फायदा उठाने के लिए है, वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए नहीं।

इस संदर्भ में, किशोर ने जदयू के मुस्लिम नेताओं से सवाल किया कि वह किस आधार पर जदयू का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जदयू के मुस्लिम नेता, जिनका दावा है कि वे मुस्लिम समाज के हितों की रक्षा करते हैं, वास्तव में उस पार्टी का समर्थन कर रहे हैं जिसने मुस्लिम विरोधी कानूनों का समर्थन किया है।

CAA और NRC का विरोध: नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया

प्रशांत किशोर ने यह भी खुलासा किया कि जब उन्होंने CAA और NRC का विरोध किया था, तब नीतीश कुमार ने उन्हें जदयू से निकाल दिया। यह बयान महत्वपूर्ण है, क्योंकि CAA और NRC के खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे, विशेष रूप से मुस्लिम समाज में। इन कानूनों को मुस्लिम विरोधी माना गया था और इनका विरोध करने वाले राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ बताया था।

किशोर का यह बयान दर्शाता है कि जदयू, जो कि बिहार में मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से का समर्थन प्राप्त करती है, वास्तव में उनकी समस्याओं और चिंताओं के प्रति उदासीन है।

सीमांचल की समस्याएं और जन सुराज का ब्लू प्रिंट

प्रशांत किशोर का सीमांचल दौरा केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं था। उन्होंने इस क्षेत्र की समस्याओं पर गहराई से विचार किया और स्थानीय लोगों से संवाद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमांचल में विकास की बड़ी संभावनाएं हैं, लेकिन यहां की समस्याएं सरकार की उदासीनता के कारण अब तक अनसुलझी हैं।

किशोर ने कहा कि वह सीमांचल के विकास के लिए एक विस्तृत ब्लू प्रिंट तैयार करेंगे, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जन सुराज का उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि एक वास्तविक बदलाव लाना है।

जदयू और भाजपा का गठबंधन: मुस्लिम समाज की चिंताएं

प्रशांत किशोर ने जदयू और भाजपा के गठबंधन पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जदयू ने अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए भाजपा के साथ गठबंधन किया है, जिसने CAA और NRC जैसे मुस्लिम विरोधी कानून बनाए हैं। किशोर ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए भाजपा के साथ अपने संबंधों को बनाए रखा, जबकि भाजपा की नीतियों से मुस्लिम समाज असहज है।

यह सवाल महत्वपूर्ण है क्योंकि बिहार में मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा जदयू का समर्थन करता रहा है। किशोर का यह दावा कि जदयू ने मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है, जदयू के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

सीमांचल में मुस्लिम समाज की राजनीतिक स्थिति

सीमांचल, विशेष रूप से पूर्णिया और कटिहार, बिहार के उन क्षेत्रों में आते हैं जहां मुस्लिम समाज की बड़ी जनसंख्या है। यहां के मुसलमान मुख्य रूप से कृषि और छोटे व्यवसायों पर निर्भर हैं और उनकी आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर है। ऐसे में, वक्फ कानून और CAA, NRC जैसे मुद्दे यहां के मुस्लिम समाज के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

प्रशांत किशोर के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वह सीमांचल के मुस्लिम समाज की चिंताओं को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने जदयू के मुस्लिम नेताओं से सवाल किया और उन्हें उनकी ज़िम्मेदारियों का एहसास कराया। किशोर ने यह भी कहा कि मुस्लिम समाज को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करना गलत है और जन सुराज का उद्देश्य इस मानसिकता को बदलना है।

प्रशांत किशोर की राजनीति का नया अध्याय

प्रशांत किशोर के इस दौरे और उनके बयानों से यह स्पष्ट होता है कि वह बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने के लिए तैयार हैं। उनका जन सुराज अभियान सत्ता की राजनीति से ऊपर उठकर सामाजिक और आर्थिक न्याय की बात करता है। सीमांचल के लोगों से संवाद करके और उनकी समस्याओं को समझकर किशोर ने यह सिद्ध कर दिया है कि वह बिहार की राजनीति में एक सशक्त और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए तैयार हैं।

जदयू और नीतीश कुमार पर उनके तीखे हमले, विशेष रूप से वक्फ कानून और CAA, NRC के मुद्दों पर, यह दर्शाते हैं कि वह केवल आलोचना नहीं, बल्कि समाधान की बात कर रहे हैं। किशोर का यह दावा कि जदयू ने मुस्लिम समाज को धोखा दिया है, बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे सकता है।

प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान और सीमांचल दौरा बिहार की राजनीति में आने वाले समय में किस प्रकार का बदलाव लाएगा, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि प्रशांत किशोर ने अपनी राजनीतिक यात्रा को एक नई दिशा दी है, जो कि सत्ता की राजनीति से हटकर लोगों की समस्याओं के समाधान पर केंद्रित है।